Thursday, April 27, 2017

Made in kota : कोचिंग का 'कोटा स्टाइल' और कहीं नहीं


मैं पूर्व उत्तरप्रदेश के कुशीनगर जिले से हूं। मेरा गांव कोटा से करीब एक हजार किमी दूर है। मुझे इंजीनियर बनना है और इसके लिए कोचिंग लेना जरूरी समझा। माता-पिता और परिवार वालों ने कोटा का नाम सुना था। 


उन्होंने यहां पढऩे भेज दिया। यहां आने के पहले मैंने दिल्ली, जयपुर के साथ ही अन्य शहरों के बारे में भी सोचा था, लेकिन तुलना करने पर सबसे अच्छा कोटा ही था।' 


कोटा में आईआईटी की कोचिंग ले रहे अमित कुमार की इस बात पर कोटा गर्व कर सकता है। और करे भी क्यों न, अमित कुमार जैसे हजारों बच्चे यही कहते हैं। उत्तर-दक्षिण, पूर्व-पश्चिम सभी ओर से स्टूडेंट्स कोटा खींचे चले आ रहे हैं। वे एक शानदार कॅरियर के लिए यहां कोचिंग ज्वाइन करते हैं और सफल होते हैं।


 'मेड इन कोटा' के इस अंक की लीड स्टोरी में गौरव शृंगी ने इस बात की ही पड़ताल की है कि आखिर कोटा कोचिंग में ऐसी क्या बात है, जो उसे अन्य शहरों से अलग और विशेष बनाती है। आप भी जानिए उन 10 पाइंट्स को। 


विश्वसनीय

सबसे बड़ा कारण यही है। इंजीनियरिंग और मेडिकल की सबसे बड़ी प्रवेश परीक्षाओं में यहां के स्टूडेंट्स टॉप करते आए हैं। और ऐसा नहीं है कि सिर्फ यहां से टॉपर ही निकलते हैं। यहां पढऩे वाले बच्चों में से करीब 80 फीसदी कॅरियर में सफल हो रहे हैं। कोचिंग संस्थान पैरेंट्स का भरोसा टूटने नहीं देते हैं। 


फैकल्टी 

स्टूडेंट्स को कौन पढ़ा रहा है, इसका यहां के संस्थान बेहद ख्याल रखते हैं। आईआईटी कोचिंग के लिए आईआईटीयन और मेडिकल के लिए प्रतिष्ठित संस्थानों से निकले एमबीबीएस, पीजी को फैकल्टी के तौर पर रखा जाता है। फैकल्टी चयन के लिए भी एक्जाम होता है। कुछ फैकल्टी की तनख्वाह का स्लेब तो कॉर्पोरेट कंपनियों के सीईओ से भी अधिक है। 


क्लास रूम 

आधुनिकतम तौर तरीकों से पढ़ाया जाता है। हवा प्रकाश का पूरा ख्याल रखकर स्टूडेंट्स को एक अच्छा माहौल देने की भरसक कोशिश की जाती है। प्रयास रहता है कि बच्चों को लगातार बैठकर पढऩे के बाद भी थकान महसूस न हो। ऑडियो विजुअल साधनों का भी इस्तेमाल किया जाता है। कोचिंग संस्थानों में प्रत्येक बैच में स्टूडेंट्स की संख्या निर्धारित है।


प्राब्लम सॉल्व सेक्शन 

कोचिंग का निर्धारित समय पूरा होने के बाद स्टूडेंट्स के लिए प्राब्लम सॉल्व सेक्शन बनाया गया है। एक हॉल में कई फैकल्टी बैठती हैं और स्टूडेंट्स के लिए भी विशेष बैठक व्यवस्था रहती है। बच्चे डिस्कस करते हैं और उनकी समस्याओं का समाधान वहीं फैकल्टी करती हैं। 


ऑनलाइन प्लेटफॉर्म 

स्टूडेंट्स को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म भी उपलब्ध कराया जा रहा है। यहां स्टूडेंट्स के प्रदर्शन का विस्तृत विश्लेषण होता है। जिसे उनके अभिभावक भी देख सकते हैं। इसमें अलग-अलग सवालों के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार होती है। यहां छात्र के अंकों की तुलना टॉपरों के साथ की जाती है। इसके लिए एंड्रॉयड ऐप तक हैं।  


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हर संडे टेस्ट 

कोचिंग संस्थानों में प्रत्येक बैच का नाम अलग-अलग होता है। जैसे 11वीं के स्टूडेंट्स बुल्स आई, बारहवीं के स्टूडेंट्स की बैच का नाम स्टर्लिंग। एडमिशन के समय सभी स्टूडेंट्स एक ही स्तर से पढ़ाई शुरू करते हैं। इसके बाद प्रत्येक रविवार टेस्ट लिए जाते हैं और उनमें प्रदर्शन के आधार पर स्टूडेंट्स को अलग-अलग बैचों में बांट दिया जाता है। बैचों के नाम ए0, ए1, ए2, ए3, ए4, बी1, बी2 व बी3 आदि होते हैं। 


पैनी निगाह 

कोचिंग संस्थानों में सभी बैचों में पढ़ाई का तरीका अलग-अलग होता है। जैसे ए0 बैच में होनहार बच्चे शामिल होते हैं। इसके नीचे के बैच के छात्रों को ज्यादा मार्गदर्शन की जरूरत होती है। ऐसे में फैकल्टी इन बच्चों के लिए कड़ी मेहनत करती है। रिव्यू टेस्ट का रिजल्ट अभिभावकों को भेजा जाता है। 


फैकल्टी जिन स्टूडेंट्स को संभावित टॉपर मानती है, उन्हें निजी स्तर पर पढ़ाई एवं मार्गदर्शन की व्यवस्था होती है। ऑनलाइन टेस्ट पेपर एवं प्रत्येक रविवार को आयोजित टेस्ट से स्टूडेंट्स का विश्लेषण होता है। प्रत्येक टेस्ट में टॉप-50 स्टूडेंट्स के साथ कड़ी मेहनत की जाती है।


एक्मोडेशन 

हजारों बच्चों के रहने के लिए कोटा में सैंकड़ों होस्टल, पीजी रूम और प्रायवेट रूम उपलब्ध हैं। हर बजट में कमरे मिलते हैं। एयरकंडिशनर वाले रूम, कूलर वाले कमरे सबकुछ मौजूद हैं। गल्र्स के लिए पूर्ण सुरक्षा वाले कमरे और होस्टल भी हैं। ऐसा भी नहीं कि किसी एक इलाके में ही रहने की सुविधा है। शहर के हर कोने में बेहतर एक्मोडेशन उपलब्ध है। 


स्वादिष्ट भोजन 

मैस की सुविधाएं हर इलाके में मौजूद है। पौष्टिक और स्वादिष्ट खाना आसानी से मिल जाता है। पिज्जा, बर्गर के साथही चाइनीज, इटेलियन फूड की पूरी रैंज भी उपलब्ध है। कोटा की कचौरी तो है ही। 


पीसफुल सिटी 

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स के आंकड़े बताते हैं कि कोटा में क्राइम लगातार घट रहा है। छुटपुट वारदातों के अलावा कभी कोई बड़ा अपराध यहां नहीं देखा जाता है। गल्र्स के लिए भी बेहतर माहौल है। किसी भी प्रकार के अपराध को पनपने से पहले की खत्म करने पर भी यहां अच्छा कार्य हो रहा है। 


टाइम टेबल 

6 बजे सुबह से सभी कोचिंग्स में फस्र्ट बैच शुरू 

10 बजे रात तक कोचिंग में पढ़ाने का सिलसिला  

7 घंटे स्टूडेंट्स के बीतते हैं कोचिंग संस्थान में 

4 घंटे का करीब होमवर्क दिया जाता है 

6 घंटे की नींद का वक्त मिलता है हर स्टूडेंट को


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authorHello, my name is Jack Sparrow. I'm a 50 year old self-employed Pirate from the Caribbean.
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