Saturday, May 27, 2017

35 हजार सरकारी कर्मिको का अटका वेतन, ये हैं सैलरी अटकने के प्रमुख कारण



जोधपुर। एसबीबीजे के एसबीआई में मर्जर की प्रक्रिया ने जोधपुर जिले के करीब 35 हजार सरकारी कार्मिकों का वेतन अटका दिया। यह राशि करीब 200 करोड़ रुपए होती है। बिल डिलीट होने के बाद सरकारी विभागों ने ऑनलाइन सैलेरी बिल दुबारा भेज दिए, इसके बावजूद कई विभागों के बिल अभी तक पास नहीं हो सके हैं। इनमें सबसे ज्यादा सैलेरी बिल पंचायतीराज विभाग से जुड़े कार्यालयों के अटके हुए हैं।

 

अब जून के पहले सप्ताह में एक साथ दो माह का वेतन कार्मिकों के खाते में आएगा। जिला कोषाधिकारी (शहर) मंजीतसिंह चारण का कहना है कि एसबीबीजे के एसबीआई में मर्जर के चलते बिल डिलीट कर दिए गए थे। कारण, विभिन्न बैंक शाखाओं के आईएफएस कोड को लेकर संशय था। हालांकि दुबारा ऑनलाइन बिल मंगवाकर कई विभागों के कार्मिकों का वेतन चुकता कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि अब कितने बिल रुके हुए हैं, इसकी जानकारी नहीं है। 

 

एनआईसी ने डिलीट किए थे बिल

जोधपुर जिले में कुल 1195 सरकारी विभाग ऑनलाइन वेतन बिल भेजते हैं। इनमें शहर कोषाधिकारी कार्यालय के अधीन 510 और ग्रामीण कोषाधिकारी कार्यालय के अधीन 685 ऑफिस शामिल हैं। इन विभागों ने 22 अप्रैल से 5 मई के बीच 1500 से ज्यादा सैलेरी बिल ऑनलाइन भेजे। ये बिल एनआईसी के सॉफ्टवेयर ‘पे मैनेजर’ के मार्फत सबमिट कर दिए गए। जिला कोषाधिकारी कार्यालय से इन बिलों को पास कर भुगतान के लिए भेजा गया। इस बीच 12 मई तक एसबीबीजे का एसबीआई में मर्जर चल रहा था। बैंक खातों के आईएफसी कोड बदल गए। सही नंबर के अभाव में एनआईसी ने सभी ऑनलाइन बिल डिलीट कर दिए। 

 

 

ऐसे होता ऑनलाइन बिल का भुगतान 
वेतन बिल तैयार कर विभाग इसे पे मैनेजर के माध्यम से ऑनलाइन सबमिट करते हैं।  इसकी कॉपी निकाल कर कार्यालय प्रभारी के हस्ताक्षर कर इसे कोषाधिकारी कार्यालय में भेज दिया जाता है। इस बीच ऑनलाइन बिल सबमिट होते ही इसे कोषाधिकारी कार्यालय में 3 दिन में स्वीकृत कर बैंक में भेजते हैं। प्रक्रिया हर माह 22 तारीख से अगले माह 5 तारीख तक चलती है। पंचायतीराज विभाग और सर्व शिक्षा में तो 7 तारीख के बाद ही वेतन बिल भेजे जाते हैं। 

 

वेतन अटकने के प्रमुख कारण 
-एसबीबीजे के एसबीआई में मर्जर के चलते बैंकों के आईएफसी कोड बदल गए। इसकी प्रक्रिया में नए कोड बनाकर फीड किए गए। 
- नए वित्तीय वर्ष के शुरू होते ही मई में कार्मिकों का सामूहिक दुर्घटना बीमा होता है। इसके चलते बिल में देरी होती है। इस बार जीपीएफ ने यह प्रक्रिया ऑनलाइन कर दी। इसके चलते बिल बनाने में देरी हुई। 

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