आंगनबाड़ी केंद्र पर ग्रीष्मकालीन अवकाश रहा तो बच्चे रहेंगे पोषाहार से वंचित
जयपुर. ।
आंगनबाड़ी वर्करों की ग्रीष्मकालीन अवकाश की मांग ने पोषाहार व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।
आंगनबाड़ी केंद्र पर आने वाले बच्चों को न तो शीतकालीन अवकाश से कोई लेना-देना है और ना ही ग्रीष्मकालीन अवकाश से। केंद्र पर नहीं आने का मतलब है इनका पेट खाली रह जाना। यही वजह है कि वे हर रोज अपने घर से नंगे पैर ही केंद्र खुलने के समय दौड़ पड़ते हैं और पोषाहार लेकर लौट जाते है। ये हैं इन मासूमों की मजबूरी।
दरअसल, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ग्रीष्मकालीन अवकाश की मांग कर रही है। अब यदि सरकार ग्रीष्मकाल में दो माह का अवकाश रखती है तो इन मासूमों को पोषाहार नहीं मिल सकेगा। सवाल ये उठता है कि सरकार अवकाश देती है तो कौन बांटेगा इन मासूमों को पोषाहार? विभाग की मानें तो केंद्र सरकार ने स्पष्ट गाइडलाइन दे रखी है कि आंगनबाड़ी केंद्र खोलने की पहली प्राथमिकता है 'पोषाहार बांटना'
ऐसे में केंद्र पर छुट्टी नहीं रखी जा सकती है। वहीं अखिल राज. महिला एवं बाल विकास संयुक्त कर्मचारी संघ और अखिल राज. महिला एवं बाल विकास संयुक्त कर्मचारी संघ, एकीकृत जैसे संगठनों ने स्कूलों की तर्ज पर केंद्र पर अवकाश रखने की मांग की है और पोषाहार बांटने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था।
125 ग्राम पोषाहार के मायने
पूरे प्रदेश में तकरीबन 63 हजार आंगनबाड़ी केंद्र चलाए जा रहे हैं। एक केंद्र पर 15 से 25 बच्चे आ रहे हैं। विभाग की मानें तो 70 प्रतिशत मासूम पोषाहार लेकर लौटते हैं। उन्हें शाला पूर्व शिक्षा देने के लिए रोकना पड़ता है। इन बच्चों को हर रोज 125 ग्राम पोषाहार दिया जाता है, जिसमें दलिया, खिचड़ी, उपमा, पंजीरी व हलवा शामिल है।
आंगनबाड़ी वर्कर पूरे साल भर काम करती हैं, ऐसे में उन्हें भी स्कूल शिक्षकों की तरह अवकाश मिलना चाहिए। पोषाहार वितरण कार्यक्रम प्रभावित ना हो इसके लिए बारी-बारी से वर्कर्स को 15—15 दिन का अवकाश देने का सुझाव सरकार को भेजा है। यदि अवकाश का प्रावधान नहीं किया गया तो यह वर्कर्स के साथ अन्याय होगा।
- छोटेलाल बुनकर, संस्थापक संरक्षक
अखिल राज. महिला एवं बाल विकास संयुक्त कर्मचारी संघ।
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