Sunday, May 21, 2017

जैव विविधता को बढ़ावा देता गागंल्यावास विद्यालय



लालसोट. आम तौर पर ग्रामीण इलाकों में बसे लोगों को जैव विविधता शब्द के मतलब के बारे में कोई जानकारी नहीं होती है, वहीं शहरी क्षेत्र के लोगों की जुबान से भी यदा कदा ही सुनाई देता है।  ऐसे माहौल के बीच जब  विभिन्न जीवों व वनस्पति के संरक्षण के लिए कोई नवाचार करे वह अपने आप में अनुकरणीय भी होता है।

 कुछ ऐसा ही नजरा दिखाई दिया विश्व जैव विविधता दिवस से एक दिन पूर्व रामगढ़ पचवारा क्षेत्र के गांगल्यावास गांव के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में। जब पत्रिका टीम विद्यालय परिसर पहुंची तो पूरा परिसर पक्षियों के कलरव से गूंज रहा था और वहां विभिन्न औषधियों के पौधों की भीनी भीनी खुशबू से महक भी रहा था। 

इस  विद्यालय में पक्षी एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए किए जा रहे कई नवाचार देखने को मिले। विद्यालय में पक्षियों के दाना-पानी के लिए लगाए पक्षी रेस्टोरेन्ट में  कबूतर व अन्य पक्षी  चुग्गा चुगते, पानी पीते, एवं झूला झूलते देखे गए। इसके अलावा करीब 750 वर्ग गज भूमि पर फैले इस विद्यालय में विभिन्न औषधि पौधों का भी रोपण किया गया है।

 विद्यालय में एक स्थान पर औषध गिरी तैयार किया है, उसमें अश्वगंधा, रक्त रोधिका, तुलसी, सुदर्शन, पत्थर चट्टा, ग्ंवारपाठा, कालीमिर्च जैसे पौधे हिन्दी अंग्रेजी वनस्पतिक नाम पटिïïï्का के साथ रोपित किए गए हैं। वर्तमान में ये सभी पौधे पूर्णरूप से पुष्पित व पल्लवित है, साथ ही बालकों को स्थानीय क्षेत्र में सहज उपलब्ध औषधीय पौधों की भी जानकारी मिल रही है। 

जन्मदिन के मौके पर विद्यार्थी करते हैं सार संभाल 

पक्षी रेस्टोरेन्ट की नियमित सार संभाल के लिए भी विद्यालय में अनूठी व्यवस्था है। प्रधानाचार्य के अनुसार इसमें पानी व चुग्गे की व्यवस्था वह विद्यार्थी करता है जिसका जन्म दिन होता है। विद्यार्थियों के नाम,  जन्म दिन के मौके पर शुभकामना संदेश भी पक्षी रेस्टोरेन्ट के पास ही बोर्ड पर लिखने की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा सप्त धान्य का चीटी चुग्गा भी प्रतिदिन डालने की व्यवस्था करते हुए  छोटे-छोटे प्राणियों के संरक्षण का भी संदेश दिया गया है। 

कक्षा कक्षों के नामकरण से मिलती है प्रेरणा 

विद्यालय में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को पक्षी एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित करने के कई आकर्षक तौर तरीकों का भी प्रयोग किया गया है। कक्षा कक्षों के नामकरण  सेव बर्ड सैक्सन, सेव इकालॉजी सैक्सन, सेव गर्ल सैक्सन एवं सेव इण्डियन आर्मी सैक्सन नाम पर किए गए हैं।

 इसके अलावा कक्षों की सज्जा भी इसी  थीम पर ही की गई है। कक्षा कक्षों में भी पक्षियों के चित्रों से बाल मनोभावों की सहज अभिव्यक्ति दृष्टिगत होती है। कक्षा कक्षों में प्लास्टिक के कचरे से विभिन्न साज सज्जा की सामग्री बनाना कचरे से करिश्मा की थीम को व्यक्त करती है। 

क्या कहना है कि प्रधानाचार्य का

विद्यालय के प्रधानाचार्य शिवशंकर प्रजापति ने बताया कि शिक्षा का उदï्देश्य बालक का सर्वांगीण विकास करना है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रख कर शिक्षण के साथ ही विद्यार्थी में प्राणी मात्र एवं पर्यावरण के प्रति सुह्रदयता का विकास हो इसी मन्तव्य के साथ के साथ ये नवाचार क्रियान्वित किए गए है। जो न्यून व्यय में अधिक संस्कार देने वाले है। (नि.प्र.)


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